गजल
गजल
वो स्लेट पे लिखना मिटाना याद आ गया
तस्वीर देख के गुजरा जमाना याद आ गया।
माँ से छुप के चुपके से खा भी लेते थे इसे
जुबाँ पर स्वाद वो ही पुराना याद आ गया।
जमीन पर बनाकर लकीरे कई खेल खेले
हारने औ जितने का फसाना याद आ गया।
अब कहां है लिखावट का वो हुनर पहले सा
छड़ी की मार का किस्सा पुराना याद आ गया।
स्लेट पर लिखकर एक दूजे से बात करते थे
बचपने का वो सुहाना याराना याद आ गया।
