रावण
रावण
असफलता का भय तो रावण है ही
सफलता का मद भी रावण है।
कुरूपता की ग्लानि तो रावण है ही
सुंदरता का अहम भी रावण है।
परस्त्री का मोह तो रावण है ही
स्वस्त्री की उपेक्षा भी रावण है।
स्वंय पर क्रोध तो रावण है ही
दुष्टों पर दया भी रावण है।
अंधकार की कालिमा तो रावण है ही
प्रकाश की चकाचौंध भी रावण है।
सत्य का अस्वीकार तो रावण है ही
असत्य का अंगीकार भी रावण है।
