ग़ज़ल
ग़ज़ल
सताए याद गर मेरी, सनम तुम लौटकर आना।
प्रिये मुश्किल हुआ जीना,बसर जीवन ये कर पाना
किए मिन्नत ख़ुदा से हम, बनो तुम हमसफ़र मेरी।
घरौंदा दिल का है खाली, नहीं यूं छोड़कर जाना।
मिरे रुह में समाए हो, मिरी धड़कन तिरी यारा।
नहीं अच्छा मेरे हमदम,मिरे जां को यूं तड़पाना।
मिरे लब पे तेरे ही नाम, सुब्ह शाम आता है।
ज़माना कह रहा ज़ानम,भटकता बन के दीवाना।
बड़े तोहमत लगाएंगे, बफ़ा-ए-रस्में उल्फ़त पर।
मुहब्बत में कमी क्या थी, ज़माने को तूं बतलाना।
मिरी जाना ज़रा आओ, गले मेरे तो लग जाओ।
ज़माना याद रक्खेगी, तेरा मेरा ये अफ़साना।
निगाहें अश्क़ छलकाएं, निहारें राह नित तेरी।
विशू दिल में बिठा रक्खा,समझते तुम क्यूं बेगाना।