Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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गजल

गजल

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संग तेरे ऐसे रहूँ की मौत का डर न हो,

मुश्किल भरी राहों में तन्हा सफर न हो।


फूल खिलते हैं सदा मुरझाने के लिए,

मुरझाये फूलों का अफसोस मगर न हो।


हर ख़्वाब पर मेरे पहरा हो साथी तेरा,

ख़्वाब में भी कोई तनहा डगर न हो।


इतना बदनसीब न हो इस जहां में कोई,

जिसके लिए अपना कोई घर न हो।


लाख तूफान आये जिंदगी के समुंदर में,

हमारे हौसलों को डूबा ले लहर न हो।


काश की पाँव न रखूँ मैं उस दुनिया में,

जिस दुनिया में तेरा कोई शहर न हो।


कैसे दिल के हाल बयां करूँ गजल में,

जब गजल में कोई भी सुंदर बहर न हो।


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