STORYMIRROR

Neelam Sharma

Romance

1  

Neelam Sharma

Romance

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1 min
93


क्यों समझता नहीं अब मेरे प्यार को।

कौन सी बात जो चुभ गई यार को।

किस तरह से कहूँ आपसे प्यार है,

आप समझे नहीं जो मिरे प्यार को।

रख यकीं इतना तो हूँ तुम्हारी सदा,

बस तरसती रही मैं तो इज़हार को।

है नशा  इश्क़ ये चढ़ रहा है मुझे,

क्यों भला दिल है बेचैन दीदार को।

अब कोई भी दवा काम आये नहीं,

मिल गया इक नया जख्म बेकार को।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance