गजल : मेरा अधूरा प्यार
गजल : मेरा अधूरा प्यार
🥀 ग़ज़ल : मेरा अधूरा प्यार 🥀
✍️ श्री हरि
🗓️ 23.8.2025
किसी ख़याल की तासीर से जलाए बैठे हैं,
ग़म-ए-हयात को तन्हा गले लगाए बैठे हैं।
लब-ओ-नज़र पे तेरा हुस्न हावी है ऐ महबूब,
फ़ना की हद पे भी अरमान सजाए बैठे हैं।
तेरी जुदाई में दिल चाक-चाक हो के भी,
ग़म-ए-फ़िराक़ को हस्ती में छुपाए बैठे हैं।
शिकस्त-ख़ुर्दा तमन्नाओं का मलबा है सीने में,
हम आँसुओं की नदी दिल में बहाए बैठे हैं।
ख़ुदा गवाह है हर लम्हा तड़पते रहते हैं,
तेरी नज़ाक़त-ए-ख़्वाबों को जगाए बैठे हैं।
"श्री हरि" की जानिब से इक ग़ुबार-ए-दिल है साहिब,
के एक बेवफा से वफ़ा की आस लगाए बैठे हैं।
तासीर (प्रभाव),
ग़म-ए-हयात (जीवन का दुःख),
फ़ना (नाश),
फ़िराक़ (विरह, जुदाई),
शिकस्त-ख़ुर्दा (टूटी-फूटी),
नज़ाक़त-ए-ख़्वाब (सपनों की कोमलता),
ग़ुबार-ए-दिल (हृदय का धुँधलापन)।

