ग़ज़ल...13
ग़ज़ल...13
शरबती मदहोश कर वो दिल जलाना याद है ।
वो तुम्हारा पास आकर दूर जाना याद है ।
चूम लूॅं रुखसार प्यासी बांह में आओ ज़रा,
वो नशीली चाल का हॉं बौखलाना याद है ।
हॉं मुझे है प्यार तुमसे आसमां से दूर तक,
ज़ुल्फ ओढ़े कान में वो फुसफुसाना याद है ।
गीत ग़ज़लों में लिखा हूँ नाम तेरा प्यार से,
सरगमी से जिस्म का वो गुनगुनाना याद है ।
ओढ़ लेता जिस्म तेरा मैं बिछौना जान के,
लाज़वंती उस बदन का फिर लज़ाना याद है ।
चॉंद जैसा तिल दिखेगा कान के नीचे कहीं,
हॉं लचकती उस हवा में लहलहाना याद है ।
मातमी 'गुलशन' यहां गुलज़ार तुमसे अब हुआ,
कोयली बनकर तुम्हारा चहचहाना याद है ।