गिरता पत्थर
गिरता पत्थर
बहुत ऊंची पहाड़ों की ऊँचाइयों से,
एक पत्थर जब अपने अस्तित्व से
टूटकर गिरता है तो उसकी
हैसियत जितना शोर होता है।
जितना बड़ा पत्थर उतना बड़ा शोर !
शोर था कि कोई फूल कुचला गया
शोर था कि एक चींटी मारी गयी
शोर था कि टूटकर लड़ने का
शोर था कि अस्तित्व से बिछड़ने का
वो कितना हद तक गिर चुका है ?
उसकी हैसियत क्या है !
अपने गिरने का शोर
समझ नहीं पाता गिरता पत्थर ।
पत्थर अब गिर चुका है नैतिकता से।
सभी अपने हिसाब से मोल बढ़ाते हैं,
गिरे हुए पत्थर को हीरा बताते हैं।
अब तो गिर चुका है,क्या करें !
पत्थर को जमीन से उठा के
पत्थर को पत्थर पे ठोका जाता है
उसे किसी रूप में तराशा जाता है
बेघर तुम नहीं समझोगे खुद से
खुद पे मार कैसी होती है!
बिना स्वीकारें ही स्वीकार बनी
पत्थर की नयी आकार बनी।
अब पत्थर तैयार है बाजार में
बिकने को, कमाल है!
अपने अस्तित्व से बिछड़कर भी
दुनिया का अस्तित्व समझा नहीं,
गिरता पत्थर।