गीत
गीत
गुजरी हुई बातों पे
तकरार ना करो
बस प्यार करो
बस प्यार करो।
भंवरा चले कली दर कली
तो दोष कली का क्यूं ढूंढो
उसकी कोमल पंखुड़ियों को
तानों से फिर क्यूं रौंदो।
मुस्काती कली से केवल
हँसने का करार करो
बस प्यार करो
वक्त पे जोर न चलता है।
ये क्या क्या रंग दिखाता है
हरियाली सावन की भी
यही वक्त चुराता है
मौसमौं से ना तुम झगड़ो।
ना ही उनसे रार करो
बस प्यार करो
बस प्यार करो।।
