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आकिब जावेद

Abstract

5.0  

आकिब जावेद

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गीत

गीत

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इक दर्पण मन का है,

इक दर्पण जीवन का है

मन मस्ती में डूब रहा,

ये दर्पण ही जीवन का है


भाग्य के लेखे में क्या लिखा 

इसका हमको क्या पता

कर्म अपने हम कर रहे

सबको इसका है पता


इक दर्पण मन का है

इक दर्पण जीवन का है


लिख लिया जीवन हमने

*फूलों के रंग से,

दिल की कलम से*

महक उठा जीवन ये सारा

जग में प्रेम की धारा से


इक दर्पण मन का है

इक दर्पण जीवन का है


प्रेम अगर हम दे दे अपना

जगत में इक परिभाषा से

बदल जायेगी सारी दुनिया

सोच के इस अभिलाषा से


बैर भाव सब त्याग करे हम 

मन में अपने प्रेम की धारा से

सरल स्वभाव ग्रहण करे हम

सीख ले कुछ हम ध्रुव तारा से


इक दर्पण मन का है

इक दर्पण जीवन का है

मन मस्ती में डूब रहा,

ये दर्पण ही जीवन का है।


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