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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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घर मे रहकर कोरोना पे मारो छूरी

घर मे रहकर कोरोना पे मारो छूरी

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इस महामारी में मंत्री हो या संतरी

कोरोना लील रहा सबकी जिंदगी


जो भी पहनता मास्क,घर मे रहता,

वो न चढ़ता कभी कोरोना की बलि


जो भी आदमी सावधानी रखता

संभल कर चलता जो गली-गली


सेनेटाइजर का जो इस्तेमाल करता,

कोरोना दैत्य उसका कुछ न करता,


कोरोना से बचता वो ही महाबली

सावधानी की जो जलाता तीली


इस महामारी में मंत्री हो या संतरी

कोरोना लील रहा सबकी जिंदगी


सही समय पर जो वैक्सीन लगाता,

कोरोना से थोड़ा सुरक्षित हो जाता,


काम से घर बाहर जाना हो जरूरी

पीपीई किट से ढके जिस्म कोहिनूरी


असमय न चढ़ेगा कोरोना की सूली

जिसने सावधानी रखी जिंदगी में पूरी


जो कोरोना गाइडलाइन पालन करेगा,

वो सच मे कहलायेगा समझदार सूरी


इस महामारी में मंत्री हो या संतरी

कोरोना लील रहा सबकी जिंदगी


मुसीबत का वक्त है,गुजर जायेगा,

थोड़ा सब्र रखो,सब ठीक हो जायेगा,


कोरोना अंधेरे बाद फिर होगी रोशनी,

पहले कोरोना में दो गज रख लो दूरी


कोरोना दानव का खत्म होगा वक्ष,

कोरोना पे मारो घर मे रहकर छूरी।



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