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Rajit ram Ranjan

Inspirational

5.0  

Rajit ram Ranjan

Inspirational

ग़म की फ़सल बोते हो !

ग़म की फ़सल बोते हो !

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क्या ग़म है तुमको, 

क्यों इस क़दर रोते हो, 

कैसे किसान हो भाई, 

ग़म की फ़सल बोते हो !


आँखें जागी हैं, 

फ़िर भी सोते हो, 

इतने सपने क्यूँ संजोते हो, 

कैसे किसान हो भाई, 

ग़म की फ़सल बोते हो !


ख़ुद में हौसला नहीं तो, 

तक़दीर को दोष देते हो, 

बेज़ुबान आँखों को, 

हररोज भिगोते हो, 

कैसे किसान हो भाई, 

ग़म की फ़सल बोते हो !


कैसे इंसान हो जो इंसान से, 

नफ़रत करते हो, 

जाति-धर्म,मज़हब,सम्प्रदाय 

के नाम पे लड़ते हो, 

क्या हिन्दू क्या मुस्लिम, 

सब एक ही जैसे हो, 

नफ़रतो की आग में, 

हर रोज क्यूँ जलते हो, 

कैसे किसान हो भाई, 

ग़म की फ़सल बोते हो !



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