गौरेया
गौरेया
वन जंगल कटते अंधा धुन्ध विकास कि दौड़ जल जीवन वन जीवन के सिंद्धान्त पीछे छूटे।।
मानव किताना स्वार्थी जीवो के जीवन छुटे बहुत चिड़िया पक्षी बनकर रह गए है हिस्से किस्से।।
गौरैया छोटी सी चिड़िया कि सुबह शाम चहक चूँ चूँ से मानवता कि बगिया करती थी गुलज़ार बचपन कि किलकारी जैसे।।
बचपन मे देखा था गौरेया एक चिड़िया थी प्यारी न्यारी बड़े जतन से घोषला बनाती मानव के घर आंगन जैसे।।
दाना चुंगती श्रम से जीवन भरण पोषण करती पता नही कहाँ चली गयी जाने कहाँ खो गयी जन्म जीवन मृत्यु के जैसे।।
मानव सभ्यता भव्यता चकाचौंध में यादे बनकर रह गयी गौरेया प्रकृति प्राणि का आधार प्रकृति प्राणि का चोली दामन जैसे।।
मानव के अपने स्वार्थ प्रकृति और वन्य प्राणि पक्षी के जीवन से करता खिलवाड गौरैया खुद भविष्य से अनजान हो जैसे।।
विलुप्त प्रायः गौरेया एक चिड़िया जाने कितने ही प्राणि अब काल ग्रास अतीत इतिहास जैसे।।
जागो मानव जागो मित्रों को पहचानो गौरैया श्री दामा पक्षी अब भी समय बचा है गौरेया अस्तित्व बचा लो।।
विलुप्त होते वन्य जीव जीवन के संरक्षण की संस्कृति प्रकृति अभिशाप प्राश्चित जैसा।।
गौरेया संरक्षण , गिद्ध संरक्षण चिता संरक्षण भक्षण कर संरक्षण प्रकृति परिहास जैसा। ।।