गायब चेहरों से प्रकाश
गायब चेहरों से प्रकाश
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न जाने कहां गुम हुए
सुमधुर गीतों के बोल
शब्दों से ज्यादा गूंजते
हैं हर तरफ बस ढोल
ना चिंगारी कहीं प्यार
की, ना उठता उल्लास
मन का सूर्य अस्त दिखे
गायब चेहरों से प्रकाश
ना जाने कारण कोई भी
क्यों अन्यमनस्कता उद्दाम
चिंता सबको बस यही कैसे
सधें निजी लक्ष्य तमाम
हे ईश्वर मेरे देश को दो
सामूहिक भाव का दान
ताकि इकाई बन के सब
करें देश का ऊंचा नाम।