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Ranjana Mathur

Inspirational

4  

Ranjana Mathur

Inspirational

गाथा अमर जवान की

गाथा अमर जवान की

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बचपन खेला माँ के आँचल अब था भारत माँ का आँचल

तब बालक था सुकुमार मगर अब था चट्टानों सा भुजबल

रग-रग में देश भक्ति की लहर लेती उद्दात्त हिलोरें थी

भारत माता को सौंप रखी उसने श्वासों की डोरें थी

माँ से कहता मैं वीर सिपाही सरहद की शान बढ़ाऊंगा

सीमा का हूँ मैं सजग प्रहरी भारत पर प्राण 

लुटाऊंगा!

नवयुवक हुआ जब ब्याह रचा आई घर सुन्दर सी दुल्हन 

दिन स्वर्ण हुए रातें सपनीली अब प्रणय में उलझा था मन

कुछ समय गया आई चिट्ठी सीमा पर हुआ शत्रु आगमन

अब कर्म पथ बढ़े चलो वीर कुचलो दुश्मन का करो दमन

तब उठा सिंह दहाड़ उठा सम्मुख था बैरी

थर्राता !

वह वीर बांकुरा शूरवीर था अडिग शिखर सा टकराता

इकलौता भारी पड़ा सौ पर बैरी के छक्के छुड़ा दिए 

कई घाव सहे आखिर दुश्मन को दिन में तारे

दिखा दिए

था ढेर शत्रु की लाशों का उसके पराक्रम का परिचायक 

धोखे से इक शत्रु ने उस पर घात कर दिया अचानक 

लगी गोली एक कनपटी पर और इक सीने के पार गयी 

चकरा कर गिरा बहादुर जब सीने से रक्त की धार बही

इस पर भी हौसला कम न हुआ गन में थी बची अंतिम गोली 

उस शत्रु की छाती चीर कर भारत माता की जय बोली! 

फिर चीफ को वायरलेस से अपना टूटा फूटा दिया संदेश 

मारे हैं सौ से अधिक कीड़े अब अलविदा मेरे प्यारे देश 

माँ की ही गोद में जा बैठा माँ का पाने को पुनः दुलार

चूमी माटी जय भारत घोष किया वीर ने त्याग दिया संसार

सेना ने ससम्मान उसे उसकी जन्म भूमि तक पहुंचाया 

उस नगर का बच्चा बच्चा तक दर्शन को वीर के उमड़ आया

घर जब पहुंचा बेटा घर का यूँ लिपटा हुआ तिरंगे में 

 माँ पिता का कातर उर सिसका अब क्या जीवन बेरंगे में 

दूजे पल दोनों संभल गये गौरव से फूल गया सीना

हम ही यदि हुए हताश तो बहुरानी का असंभव है जीना

नव विवाहिता की दशा नहीं किसी से भी देखी जाती 

न रोई न सिसकी और न ही दुख से थी बेबस वो हुई जाती

बस अपलक देख रही प्रियतम मैं तो हूँ तुम्हारी वीरांगना

मेरे प्राण मैं शान तेरी संभालूंगी मात पिता घर अंगना

अर्थी को आकर प्रणाम किया मस्तक को प्रियवर के चूमा

जय हिन्द को किया उद्घोष जिससे जन जन झूमा

अमर जवान को किया अंतिम नमन न रोने की उसने ठानी

है सत्य कथा इक अमर जवान की न समझो इसको कहानी 

आज कर रही हूँ मैं अपने शब्दों में यह बना इक कहानी 

एक अमर जवान के अदम्य साहस देश प्रेम को अपनी जुबानी। 




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