STORYMIRROR

Mukesh Kumar Modi

Inspirational

4  

Mukesh Kumar Modi

Inspirational

गाँव की पुकार

गाँव की पुकार

1 min
410

तेरा गाँव तुझे बुलाए लौटकर आ जा मेरे लाल 

बन सकता है तेरा जीवन गाँव में भी खुशहाल


गलियाँ, मन्दिर, पनघट और पुकार रहे तालाब

इन्हें छोड़कर मत कर शहरों में खुद को खराब


मात पिता, चाचा चाची, ताया ताई तुझे बुलाते

बचपन के संगी साथी तेरी याद में आंसू बहाते


तुझ पर आखिर कुछ तो है मेरा भी अधिकार

बोल कौन है तेरे गाँव के सूनेपन का जिम्मेदार


गाँव छोड़कर तूँ शहर में पैसा कमाने ही जाता

भूलकर मीठे गाँव को तूँ शहर में ही बस जाता


तेरा कमाया पैसा शहरों को ही सम्पन्न बनाता

तेरी उपेक्षा के कारण तेरा गाँव पिछड़ता जाता


कॉलेज अस्पताल इंस्टीट्यूट बनते हैं शहरों में

किंतु जज़बात ना होते शहर वालों के चेहरों में


शहर चलते हैं मशीनों से प्यार वहां ना पाएगा

तेरा जीवन भी वहाँ मशीन समान बन जाएगा


मिट जाएगी संवेदना दिल पत्थर बन जाएगा

गाँव वाला प्यार कभी महसूस कर ना पाएगा


सब साधन सुविधाएं भले गाँव में नहीं पाएगा

किंतु चैन की नींद केवल गांव में ही तूँ पाएगा


रूखी सुखी जो भी होगी मिलकर हम खा लेंगे

आज नहीं तो कल सुख के साधन भी पा लेंगे


शहर छोड़कर वापस तूँ राह पकड़ ले गाँव की

सुख पाएगा छूकर तूँ धूल माँ बाप के पाँव की


गोद गाँव की पाकर ही ख़ुशहाल तूँ हो पाएगा

तेरी मेहनत से तेरा गाँव भी सम्पन्न हो जाएगा


जन्म मिला जिस मिट्टी में उसको तूँ अपना ले

अपने प्यारे गाँव को तूँ अपनी दुनिया बना ले!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational