"फ़ेस बूक की मित्रता
"फ़ेस बूक की मित्रता
मित्रता की परिभाषा बदल गई
लोग बदल गए संवेदनाओं का ह्रास होने लगा !
प्रतिद्वंद्विता की दावाग्नि में झुलसते चले गए !!
संख्याओं पर ज़ोर दिया लोगों को ना परख सके !
मित्रता में जुड़ गए लाखों से पर उनके दिलों में ना रह सके !!
मित्रता में राब्ता जब तक न होगी तब तक
हम अंजान बने रह जाएंगे !
आज हमारे साथ हैं कल किसी के साथ हो जाएंगे !!
मित्रता का मूल -मंत्र आज तक बदला नहीं !
समान विचारधारा सम्मान, सहयोग, मिलन और
गोपनियता की बात को भूला नहीं !!
पर आज हम दिग्भ्रमित हो चले और
इसके मंत्र को हम भूल गए !
सब अपनी-अपनी कलाबाजियों में व्यस्त हैं ,
किसी को किसी की परवाह नहीं होती है !
वसूलों की बातों को छोड़ भी दें राब्ता को भी
हम तैयार नहीं हैं !
किन्हीं को भली -भांति जानते नहीं ,
वो कहाँ रहते हैं ? अधिकांशतः उनको पहचानते नहीं !!
यह विडंबना संभवतः अधिकांश लोगों की होती है ,
जो मित्रों की संख्याओं पर ज़ोर देते हैं !
वे उनसे भी दूर होते जाते हैं !!
हम ने खुद इस मित्रता को एक नया नाम दे रखा हैं !
अपनी अकर्मण्यता को छुपाने के लिए
" डिजिटल मित्रता "कह रखा है !!
प्रतिक्रिया रहित, संवाद विहीन परिचय के बिना
यह रंगमंच कभी स्वप्न में नहीं निखर सकता है !
फूलों की खुशबू बिना वातावरण सुगंधित
कभी नहीं हो सकता है !!
