फ़ाक़ाकशी
फ़ाक़ाकशी
बाजारों में खोटे सिक्के भी चल जाते हैं,
मेहनत करने वालों के दिन बदल जाते हैं।
फिर क्यूँ नहीं बदलती तकदीर किसान की,
बस फ़ाक़ाकशी में दिन निकल जाते हैं।
बाजारों में खोटे सिक्के भी चल जाते हैं,
मेहनत करने वालों के दिन बदल जाते हैं।
फिर क्यूँ नहीं बदलती तकदीर किसान की,
बस फ़ाक़ाकशी में दिन निकल जाते हैं।