एकाकीपन
एकाकीपन
एकाकीपन नहीं ,
नहीं है कोई वहम।
सच कहूं तो !
एकाकीपन में,
बेचैनी है ज्यादा।
तकलीफ ,
कुछ ज्यादा,कम।
एकाकीपन और मन।
समझता ज्यादा कौन?
जो देते एकाकीपन !
शायद नहीं...
समझती हैं वह,
छत की तरफ,
एक टक आँखे ।
चादर की सलवटे।
सियाने का तकिया,
जो बार बार,
बदलता अपनी जगह।
सुबह के इंतजार में,
शायद कुछ हो,
अच्छा...