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Praveen Gola

Tragedy

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Praveen Gola

Tragedy

एक सोच

एक सोच

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सड़कों पर दौड़ती ,तेज गति से ,अपने अंदर लिए ,एक जान ,मेरा दिल डरा रही थी ।

जब भी सुनाई देती ,एम्बुलेंस के ,उस सायरन की आवाज़ ,रात के अंधेरे में ,मेरा दिल डरा रही थी।

चारों तरफ फैली ,कोरोना महामारी ,हजारों शवों की ,बेबसी लाचारी , मेरा दिल डरा रही थी। 

हर जगह छाया था ,अफरा - तफरी का माहौल ,अस्पतालों से आ रहा ,एक कर्णभेदन शोर ,मेरा दिल डरा रही थी ।

लगातार बढ़ते ,मरीजों की संख्या ,समाचारों में हारती ,नेताओं की व्यवस्था ,मेरा दिल डरा रही थी।

एक - एक करके यूँ ,संक्रमित हो जाना ,अपने ही रिश्तेदारों का ,टूट - टूट के बिखर जाना ,मेरा दिल डरा रही थी।

एक अजब सा इतिहास ,रच रहा कुछ खास ,भविष्य के पटल पर ,वायरस का त्रास ,मेरा दिल डरा रही थी।

आयेगी ज़रूर ....वैक्सीन कोरोना की , मुझे पूरा है विश्वास ,ऐसी एक सोच अब ,मेरा दिल सहला रही थी।


  




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