My poem : My life
Inspirational
ठोकरें खा जीरो कोई शिकायत नहीं।
रास्ते में ही रुक गए तो शर्म की बात है।।
संघर्ष में असफल हुए तो कोई शिकायत नहीं ।
संघर्ष के आगे झुक गए तो शर्म की बात है ।।
हम हैं सच्चे ...
स्वच्छता
एक सीख
प्रेम की भूमि...
जो तुम चलो तो हम चले जो तुम बढ़ो तो हम बढे़। जो तुम चलो तो हम चले जो तुम बढ़ो तो हम बढे़।
जो अपने परिवार के लिए मुश्किल में भी मुस्कुरा दिया करते है ! जो अपने परिवार के लिए मुश्किल में भी मुस्कुरा दिया करते है !
कलयुग हो या सतयुग हो जाने क्यों औरत का नसीब नही बदलता। कलयुग हो या सतयुग हो जाने क्यों औरत का नसीब नही बदलता।
सही लगता है लिखना यही है सत्य का आधार। सही लगता है लिखना यही है सत्य का आधार।
लोग तुम्हारी जाति धर्म के ठेकदार बनकर आये हैं। लोग तुम्हारी जाति धर्म के ठेकदार बनकर आये हैं।
धरती नापा अम्बर नापा हर देश गाँव तू व्याप्त हुआ ।। धरती नापा अम्बर नापा हर देश गाँव तू व्याप्त हुआ ।।
हर किरदार में तुम ऐसी छाई, जैसे जिस्म साथ हो परछाई l हर किरदार में तुम ऐसी छाई, जैसे जिस्म साथ हो परछाई l
क्या जरूरी है महिला दिवस मनाना? एक दिन सम्मान देकर फिर वादा तोड़ जाना। क्या जरूरी है महिला दिवस मनाना? एक दिन सम्मान देकर फिर वादा तोड़ जाना।
कहे लेखनी बोल में उपजे मीठी खीर, छोड़ भी दो अब मत मारो वाणी के तीर। कहे लेखनी बोल में उपजे मीठी खीर, छोड़ भी दो अब मत मारो वाणी के तीर।
है अदभुत है आज की नारी की कथा, जिसमे छुपी है अनेकों अलौकिक गाथा। है अदभुत है आज की नारी की कथा, जिसमे छुपी है अनेकों अलौकिक गाथा।
यही जिसका जीवनलक्ष था... नाम उनका सुभाषचंद्र बोस था... यही जिसका जीवनलक्ष था... नाम उनका सुभाषचंद्र बोस था...
कल को किसने देखा है यार मेरे कल के लिए अपने आज को ना तू खोना! कल को किसने देखा है यार मेरे कल के लिए अपने आज को ना तू खोना!
तुम्हारा स्नेह मैं कभी नही भूलूंगा मेरे मित्र मेरे पेड़ मेरे प्राण पालक मेरे प्रिय पे तुम्हारा स्नेह मैं कभी नही भूलूंगा मेरे मित्र मेरे पेड़ मेरे प्राण पालक मे...
ज़िंदगी की लहराती मदभरी हवाएं कहीं शुरू होकर फिर लेती नया मोड़! ज़िंदगी की लहराती मदभरी हवाएं कहीं शुरू होकर फिर लेती नया मोड़!
ना कभी तकरार ना ऐतबार हुआ, लिखता हूं कि जैसे प्यार हुआ।। ना कभी तकरार ना ऐतबार हुआ, लिखता हूं कि जैसे प्यार हुआ।।
क्यों मौन बैठे हैं इस देश के पिता, भाई,और बेटे? सवाल उन्ही से तो पूछ रही हूँ मैं ? क्यों मौन बैठे हैं इस देश के पिता, भाई,और बेटे? सवाल उन्ही से तो पूछ रही हूँ ...
कर्मातीत अवस्था को तुम आत्मसात कर पाओगे। कर्मातीत अवस्था को तुम आत्मसात कर पाओगे।
मिटा हर कुरीति अब सद्बुद्धि जगाना है, मिटा हर कुरीति अब सद्बुद्धि जगाना है,
तेरे ऋणी हैं हम माँ तेरे से पहले न कुछ, तेरे बाद न कुछ।! तेरे ऋणी हैं हम माँ तेरे से पहले न कुछ, तेरे बाद न कुछ।!
क्योंकि तोड़कर अब हर जंजीरों को मैं खुली हवाओं की तरह उड़ना चाहती हूं। क्योंकि तोड़कर अब हर जंजीरों को मैं खुली हवाओं की तरह उड़ना चाहती हूं।