Amrita Rai
Tragedy
एक रात
ऐसी आईं जलजला बन सब मिटा गई
हंसती खेलती जिंदगी को जहन्नुम बना गई
क्या बिगाड़ा था उस मासूम ने
किस गलती की सजा मिल रही
लोगों के बदलते रवैये से फूल से अंगार बन गई
पैसे की दुनिया है साहब पैसा ही पहचान बन गई।।
पल दो पल का य...
हमारे नैन
गुजारिश है तु...
लिखते हैं दर्...
हर रोज इरादा ...
अच्छा लगने लग...
लिखते लिखते र...
खुद को संभाल ...
क्यों नहीं बत...
हर अदा तुम्हा...
इश्क़ करने में क्या बुराई है हाँ किया जाए बारहा किया जाए इश्क़ करने में क्या बुराई है हाँ किया जाए बारहा किया जाए
हम जब पहली बार मिले थे तब तुम ऐसे तो न थे। हम जब पहली बार मिले थे तब तुम ऐसे तो न थे।
अरे वो माँ सुन तो सही........ आज एक बार फिर से, अपनी ममता का आँचल ओढ़ा दो माँ। अरे वो माँ सुन तो सही........ आज एक बार फिर से, अपनी ममता का आँचल ओढ़ा द...
अबकी बार लेने भी आए तो नहीं जाऊगी सबको समझा दिया. अबकी बार लेने भी आए तो नहीं जाऊगी सबको समझा दिया.
कफ़न का चोला पहनते बाँवरी चिता भी चढ़ जाती है। कफ़न का चोला पहनते बाँवरी चिता भी चढ़ जाती है।
और कुछ नहीं ऐसे ही बात करें तो फालतू की बात। और कुछ नहीं ऐसे ही बात करें तो फालतू की बात।
इसकी निरन्तर बढ़ती गति से, मानवता का अंत निकट है..।। इसकी निरन्तर बढ़ती गति से, मानवता का अंत निकट है..।।
आजकल के रिश्ते बनते बिगड़ते साथ चले जब तक साथ रहना हो तब तक। आजकल के रिश्ते बनते बिगड़ते साथ चले जब तक साथ रहना हो तब तक।
ना बढ़ें निंदनीय कर्मों की ओर जीवित रखें मानवता की डोर। ना बढ़ें निंदनीय कर्मों की ओर जीवित रखें मानवता की डोर।
उसके व्यवहार को उसके नजरिया को उसके व्यवहार को उसके नजरिया को
जो है निर्दोष इंसान, नहीं उनकी बलि लो तुम। इन मासूम जीवों की, नहीं ऐसे बलि लो तुम।। जो है निर्दोष इंसान, नहीं उनकी बलि लो तुम। इन मासूम जीवों की, नहीं ऐसे बलि लो...
नरभक्षियों की चमकती हुई आंखें हैं आंखों की रौशनी में ही दिखते हुये सौम्य चेहरे हैं। नरभक्षियों की चमकती हुई आंखें हैं आंखों की रौशनी में ही दिखते हुये सौम्य च...
इस कदम से अपने ही साथ कर पाएंगे जन कल्याण ! इस कदम से अपने ही साथ कर पाएंगे जन कल्याण !
लोगों के बीच क्यों आने लगी है दूरियां एकदूसरे से क्यों दूरियां बनाने लगी है दुनिया। लोगों के बीच क्यों आने लगी है दूरियां एकदूसरे से क्यों दूरियां बनाने लगी है द...
सबको मानते - मानते , कब खुद से रूठ गयी मैं, क्यों अपनी बात रखना भूल गयी मैं। सबको मानते - मानते , कब खुद से रूठ गयी मैं, क्यों अपनी बात रखना भूल गयी मै...
समर्थक फरमाएं छेड़ो धुन नगीना। समर्थक फरमाएं छेड़ो धुन नगीना।
जो किसी को दुख दे कमाई हो; वो तो पाप है वो हराम है। जो किसी को दुख दे कमाई हो; वो तो पाप है वो हराम है।
आ बैठ न कुछ देर मेरे पास, मैं कुछ पल सुकून से, तेरे पास बैठना चाहता हूँ। आ बैठ न कुछ देर मेरे पास, मैं कुछ पल सुकून से, तेरे पास बैठना चाहता हूँ।
मगर भरम भरम है किसी रोज़ टूट जाएगा। मगर भरम भरम है किसी रोज़ टूट जाएगा।
उसकी उदासीन आंखों में... मृत स्वप्नों की जलती चिताएं हैं। उसकी उदासीन आंखों में... मृत स्वप्नों की जलती चिताएं हैं।