एक पल
एक पल
एक पल संतृप्त हुआ
क्योंकि तुम्हारी याद आयी इसमें।
बहुत मुश्किल से याद आयी इसमें
उस पल की
जब तुमसे आँख मिली
और मैं तुम्हारा हो गया
सच कहो तो खो गया
तुम में।
यकीनन लोग देखते होंगे
मेरा आना, जाना, गुनगुनाना
कुछ लिखना
उन्हें सुनाना।
जब कि वह
एक परछाईं सा ही हूँ मैं
सच कहूँ तो
तुम्हारी एक कठपुतली।
भटकती हुई संसार में
तुम तो जानते हो
मैं तुम में खो गया हूँ
पर जीवन है संसार में मेरा
मैं तो शुक्रगुजार हूँ इस एक पल का
जिसमे तुमसे मुलाकात की याद आयी
और लगा मैं हूँ।
काश लोग समझते हम हैं।
