एक फौजी की कसम
एक फौजी की कसम
कदम बड़ा के, मैं चला, देश की बढ़ाने शान,
ग्लेशियर की ठंडी बर्फ़, हो चाहे तपता रेगिस्तान,
दुश्मन जो ललकार दे, खैर नहीं उसकी जान,
देश की एक पुकार पे, हो जाऊँ मैं कुर्बान,
देश ही मेरा धर्म है, तिलक माटी का अभिमान,
सेवा भाव सर्वस्व है, नहीं कोई झूठा मुझे गुमान,
मैं सैनिक बलशाली हूँ, देश भक्ति मेरी कमान,
सुदृढ़ मेरा निश्चय है, अडिग ही मेरी पहचान,
शांति सा स्वरूप मेरा, पर रण भूमि है जहान,
दुश्मन के नापाक इरादों से, ना हूँ मैं अनजान,
देश की खातिर, सर्वोच्च लूटाना, है मेरा अरमान,
तैयार सदा में रहता हूँ, करने को सब बलिदान।।