एक नया नया कवि हूं मैं ..!
एक नया नया कवि हूं मैं ..!
एक नया नया कवि हूं मैं
काव्य की सेज पर
पुष्प सा प्रस्फुटित होता रहता हूं मैं
एक नया नया कवि हूं मैं,
कभी सागर की गहराइयों में उतरता हूं
कभी उड़कर नभ भी छू लेता हूं मैं,
बादलों से खेलता
लहरों के वेग को रोकता हूं मैं,
अनगिनत ना जाने कितने
स्वप्न रचता हूं मैं
एक नया नया कवि हूं मैं।
ना मुझमें कोई स्वार्थ है
न कुछ पाने की चाहत है
ना मैं किसी से डरता हूं
ना किसी से लगाव रखता हूं
इसलिए भय बिन प्रीत के
शब्दों को अपने रच लेता हूं मैं
एक नया नया कवि हूं मैं ।।
किसी को मेरा लिखा
दिल के करीब पाता है,
कोई पढ़ सुन कर
आंसुओं में डूब जाता है,
किसी के दिलों में
अल्फाजों की कसक होती है,
कोई कविता के
छंदों से भय खाता है,
कविता प्रेम में अक्सर
डूबा रहता हूं मैं
एक नया नया कवि हूं मैं।
हर किसी को मेरी कविता में
एक नया दौर मिलता है,
बंद लिफाफे में गुलाब संग
प्रेम मिलता है,
बिछुड़न के बाद
मिलन की आस मिलती है,
जब भी नये नगमें
नए स्वर सजाता हूं मैं,
खुद को उस रब के करीब पाता हूं मैं
एक नया नया कवि हूं मैं ।।
कभी भूख पर लिखता ह
ूं मैं,
कभी मां की लोरी सुन सो जाता हूं मैं,
कभी बहन की राखी पर लिखता हूं मैं
कभी बेटियों के सपने सजाता हूं मैं
रूढ़ीवादी, कुरीतियों पर नित आघात कर
अंधविश्वास, भेदभाव, अस्पृश्यता पर प्रहार कर
शब्दों के तीखे बाण चलाता हूं मैं
एक नया नया कवि हूं मैं।
कभी गरीबी की फटी चादर
पर लिख रहा होता हूं,
कभी छद्म प्रपंच की कलाई खोलता हूं,
सत्य का सेवक हूं
सत्य ही लिखता हूं मैं
हरपल कविता के लिए
नए शब्द पिरोता हूं मैं
एक नया नया कवि हूं मैं ।।
हर जज्बात को अलग ही
स्याही से उकेरता हूं मैं,
उलझनो को सुलझा कर ही
शांत होता हूं मैं,
कभी बादलों के
उस पार पहुंच जाता हूं मैं,
कभी बहते बहते पवन संग
खुद भी बह लेता हूं मैं
एक नया नया कवि हूं मैं।
मन में उमंगों की बात हो
या अंधकार पर
शब्दों का कटाक्ष हो,
कभी जगनूओं की रोशनी की बात हो
या प्रेमियों की चांदनी रात हो,
मेरी लेखनी बस सत्य लिखती है
मेरी कविताएं स्वच्छंद बहती है
कुछ भी लिखने से नही घबराता हूं मैं
एक नया नया कवि हूं मैं।।