एक मुलाकात
एक मुलाकात
वो जब भी मिलता है
यूँ ही मिलता है
जैसे कि सुबह सुबह मिला
ये सोचते हुये कि
मैं और सुंदर और
उपयोगी हो सकता हूँ
समाज के लिये
देश के लिये
अपने लिये।
आज मैंने भी उससे कह दिया
सौंदर्य के खजाने की
कल्पना से बेहतर है
एक छोटा सा
सुंदर काम।
सचमुच हम अपने ही सौंदर्य के साथ
जीवन में सक्रिय नहीं हो पाते
दुनियादारी के आकर्षण में
वो छुई मुई सा
हमारे ही अंदर सिमट जाता है।