एक_मुलाक़ात
एक_मुलाक़ात
तुमसे एक मुलाक़ात के इंतज़ार में,
कुछ लम्हें ज़िंदगी के बचा कर रखे हैं मैंने
कुछ अल्फ़ाज़ जो अनकहे हैं,
अभी लबों से सी कर रखे हैं मैंने
कुछ हसीं ख़्वाब जो अधूरे हैं,
अभी सजा कर रखे हैं मैंने
कुछ सवाल जो अनकहे हैं,
अभी सीने में दबा कर रखे हैं मैंने
कुछ ख़्वाहिशें जो मुक़म्मल होंगी शायद,
अभी धड़कनों से बांध कर रखीं हैं मैंने
कुछ शिकायतें जो तुमसे हैं मेरी,
अभी ज़ुबां पर रोक कर रखीं हैं मैंने
कुछ एहसास जो अनछुए हैं,
अभी संजो कर रखे हैं मैंने
कुछ जज़्बात जो ज़हन में दफ़न हैं,
अभी आँखों में छिपा कर रखे हैं मैंने
तुमसे एक मुलाक़ात के इंतज़ार में,
कुछ लम्हें ज़िंदगी के बचा कर रखे हैं मैंने..!!