एक लम्हा जीने के लिए...
एक लम्हा जीने के लिए...


बस एक लम्हा जीने के लिए,
कितनी तड़प तेरी आंखों से पीने के लिए,
मेरी चाहत, अपने ज़ख्म सीने के लिए,
सच.... क्यों दुआएं तेरे उस साथ के लिए।
क्या चाहता है मेरा बैरी दिल मुझसे,
क्यों मोहब्बत है इतनी तुझसे,
कैसे किसीको सुनाऊं यह किस्से,
जानता हूं कुछ नहीं आयेगा मेरे हिस्से।
फिर क्यूं ये आस जागते हो?
किसलिए इतना मजबूर किए जाते हो?
ख्वाबों में, नींदों में, इतना सताते हो!
मन के इतने करीब पर... पास कभी ना आते हो।
कैसे मिलेगा सुकून जो तुम ना मिले?
कैसे काटेंगे ज़िन्दगी? कौन करेगा दूर गीले?
अरमान यही है मिटा दूं सारे फासले,
'...बस एक लम्हा जीने के लिए'।