एक लम्हा हूँ
एक लम्हा हूँ
एक लम्हा हूँ गुज़रने दे मुझे
वक़्त की गोद को भरने दे मुझे
आज जी भर के संवरने दे मुझे
अपनी आँखों में उतरने दे मुझे
चाँद मांगेगा ख़ुद ज़िया मुझसे।
थोडा सा और निखरने दे मुझे
दर्द बेताब है उठने के लिए
ज़ख़्म कहता है कि भरने दे मुझे
मैं तेरे दिल में मुद्दतो से हूँ
अब तो आँखों में ठहरने दे मुझे
मुझको गौहर तलाश करने हैं
गहरे दरया में उतरने दे मुझे
मेरा माजी ही है मेरा दुश्मन
जीने दे और न मरने दे मुझे
मेरे होंठों के तबस्सुम ने कहा
कहकहा बन के बिखरने दे मुझे।
