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Prabhawati Sandeep wadwale

Tragedy

3  

Prabhawati Sandeep wadwale

Tragedy

एक लडकी

एक लडकी

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हर दिन खुद से लडकी थी,,

सब के बीच रहकर,,

मै अकेली थी,,,

साधारण सहा रहणीमन,,,

चेहरे पेे मुस्कान,,

खुद पसंद था ये सब,,

ने पागल समझा ,,

किताब से दोस्ती थी मेरी,,,

हर किसी ने पागल समझा

हर किसी ने तोडना चहा मुझे,,

कभी कभी लगता है सब कुछ

खतम हो गए ,,

दिल की आवाज मे कैसे संभाला!



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