एक कमी
एक कमी
एक कमी है कि आंखों में मेरे नमी है
मेरी मुस्कुराहट दांतो तले दबी रही है
जबसे कोई परी जीवन में आकर गयी है
तबसे हुए हंसने वाले मेरे पर बहुत खली है ।
एक उदासी के संग से
भुल गया मैं जीने के ढंग
हुआ मै अकेला अनजान
सारे रंग जीवन के हुये बेजान ।
ठहर गया जीवन एक ढर्रे पर ही
शाम का सुबह में बदलना ना हुआ
एक दरिया ने समझा मुझे झरना
फिर मेरा हुआ सदा नीचे गिरना ।
कोई बात कान सुन ना पाये
मुंह भी अपनी बात कह ना पाये
बहुत कोशिश से कोई भले हंसा दे
आंखो से अश्रु बाहर ना आ पाये ।
परख कर मुझे परिहास किया
पलट कर मुझे भला बुरा कह दिया
इंतजार में मैंने कई साल बिता लिये
मिलने पर मुझे डांट कर अकेला छोड दिया!