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Meera Ramnivas

Abstract

4.7  

Meera Ramnivas

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एक खूबसूरत एहसास

एक खूबसूरत एहसास

2 mins
372


एक सुबह अचानक 

खिड़की पर ठक ठक हुई

खिड़की पर दे रहा दस्तक कौन

थोड़ी अचंभित हुई

चाय का कप थामे 

खिड़की पर दौड़ी चली आई

अब दस्तक कहां?

 कोरोना बीमारी जब से आई


खिड़की पर चिड़िया थी

मुझे देख चहचहाई

पूछ रही हो जैसे

कैसी हो? क्यों घूमने न आई

सुनकर मैं मंद मंद मुसकाई

शिकायती लहजे में चिड़िया चहचहाई

काफी दिनों से आप गार्डन नहीं आई


आहो! गार्डन से तुम आई

ये तो कहो मेरे घर की

राह कैसे पाई

चिड़िया चहचहाई

हवा है ना संग 

मुझे यहां ले आई

ये सबकी खबर रखती है

खानाबदोश सी फिरती है


यही तो तुम्हारे आने की खबर 

सदा देकर कहती है

वो देखो तुम्हारी चहेती आई

सुन कर मैं खुशी से फूली न समाई

सच में तुम ऐसा सोचती हो

मुझे अपना समझती हो

चिड़िया चहकी

आप हमारे प्रति संवेदना दिखाती हो

अपनेपन का एहसास कराती हो


मैंने कहा तुम सब

मेरी सुबह खुशनुमा बनाती हो

चिड़िया चहकी  

आप हमारी नैमत बनकर आती हो

एक आप ही तो हो

जो फूलों को देख मुस्कुराती हो

माली छोड़ जाता है पानी का पाइप 

प्यासे पौधों की तरफ मोड़ देती हो

हमें प्यार भरी नज़र से देखती हो

हमारी चहचहाहट सुन खुश होती हो

हमारे लिए दाना‌

चींटी के लिए आटा लाती हो


कई दिनों से आप घूमने ना आई

मैं हवा संग समाचार लेने चली आई

अच्छा किया मैं तुम्हें देख खुश हूं

तुम्हारे प्रति दिल से कृत कृत्य हूं

देखो! सामने दाना पानी रखा है

खा पीकर जाना

जब भी दिल करे

आगे भी यूं ही चले आना


इंसान तो मतलब से ही आता है

खैर अब तो करोना के भय से भागता है

चिड़िया चहकी

आप का घर अच्छा लगा

पेड़ों पर टंगा दानापानी 

देख और भी अच्छा लगा

हां !पेड़ों पर पंछी आते हैं

चुगते चहचहाते हैं

पंछी कलरव मुझे भाता है

घर का समां बदल जाता है 


चिड़िया चुग कर उड़ गई

सुंदर एहसास छोड़ गई

प्रकृति हमें कितना कुछ देती है

प्रकृति हमसे संवेदना चाहती है

हम जीवन भर लेते रहते हैं

अपने लिए जीते रहते हैं

 प्रतिध्वनि है हमारा व्यवहार

 जड़ चेतन चाहता हमसे प्यार 

 हम जो भी दूसरों को देते हैं

 द्विगुणित होकर वही पा लेते हैं।।


      



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