एक इशारा तेरा
एक इशारा तेरा
एक इशारा तेरा ,
मुझे बरबाद करता है ,
मेरा दिल और दिमाग ,
तेरी रूह में उतरता है।
फैसले तुझसे मिलने के ,
मैं खुद ना ले सका ,
ये ज़िस्म तेरी राह का ,
आगाज़ करता है।
दुनिया कहे दीवाना ,
मैं बन गया परवाना ,
जो जलती शमा में ,
जलने की फरियाद करता है।
तू कहे जो आने को ,
तो मैं तीनो लोक नाप जाऊँ ,
तेरी अगन बुझाने का ,
ये जत्न दिन - रात करता है।
बहके हुए जज़्बात लिए ,
तू बता मैं किधर जाऊँ ?
एक इशारा तेरा ,
मुझे बरबाद करता है।।