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Raja Sekhar CH V

Abstract

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Raja Sekhar CH V

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एक एक भौंरा

एक एक भौंरा

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एक एक फूल खिलता जाए,

एक एक ग़ुल महकता जाए,

बाग़ हसीन रंगीन होता जाए,

भौंरों का मजमा बनता जाए!


एक एक भौंरा घूमता टहलता जाए,

एक एक ग़ुल को परखता हुए जाए,

एक एक शहद का बूँद चखता जाए,

मीठे आब-ए-हयात का मज़ा ले जाए!


हर भौंरा अपना दिन ख़ुशी से बिताए,

बाग़ में यहाँ-वहाँ उड़ता मंडराता जाए,

क़ुदरत की सोहबत को निहारता जाए,

जिंदगी के रंगत का लुत्फ़ उठाता जाए!


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