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Dr.rajmati Surana

Abstract

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Dr.rajmati Surana

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मृदुता लफ़्ज़ों की

मृदुता लफ़्ज़ों की

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मैं अनजाने ही सबके दिल में उम्मीद जगा बैठे,

वक्ततृत्व कला में माहिर था थोड़ा सबको दिल दे बैठै।


नजाकत मेरे लफ़्ज़ों की असर दिखा सीरत बदलने लगी,

लोग जिसे मानते थे कोयला, हीरा बना मुझे अपने बना बैठे ।


संघर्षों के वातायन से अब जिंदगियां कसौटी पर खरी उतरने लगी,

तृप्त होने लगा मन का कोना, मुस्कराते हुए सब मेरे पहलू में आ बैठे।


व्यवहार कुशलता से हो निसार मैंने मादक मृदुता बिखेरी,

प्रश्न थे कुछ के मन में तो बन पिपासु मेरे आश्रय में आ बैठे।


पर न जाने क्यूँ कुछ आदमियों की सीरत, सूरत ऐसी क्यों होती हैं,

होती हैं जग में अवहेलना तो अपनी दास्तान सुनाने समंदर किनारे जा बैठे।


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