बाल मनोविज्ञान
बाल मनोविज्ञान
परम पवित्र सरल बच्चे सब, प्यार भरा निश्छल व्यवहार।
कई बार बेहतर बच्चे बड़ों से, मेरा अपना दृढ़ है ये सुविचार।
चाइल्ड तो है मैन का फादर, वर्डसवर्थ ने कविता में माना है।
अधिकारी विक्रम की न्याय सीट का,पावन बालमन जाना है
पहले सोच समझ लें हम हर बच्चा , ये सब मनोविज्ञान ने माना है।
बेहतर ढंग से बच्चे संभलें, पहले जब मन उनका पहचाना है।
दें उनकी अभिव्यक्ति को मौका ,सृजन शक्ति को देवें निखार।
परम पवित्र सरल बच्चे सब।
भावी कर्णधार ये देश के ,आज अभी जो बच्चे हैं।
देश का नव निर्माण करेंगे, प्रहरी हमारे य़े सच्चे हैं।
आगे ये परिपक्व बनेंगे,जो आज अभी तक कच्चे हैं।
किस्मत देश की इनके कर में,सब काम -इरादे अच्छे हैं।
इनको अवसर दें नियोजित ढंग से,होगा भारत का उद्धार।
परम पवित्र सरल बच्चे सब।
कल के नागरिक आज के बच्चे, ये तो अपने देश की शान हैं।
आज इन्हें हम ठीक से समझें, ये आने वाले कल की जान हैं।
बाल मनोविज्ञान ठीक से समझें,उन्हें मिले जो उनकी पहचान है।
वे सारे सपने ये करेंगे पूरे , जिन्हें देखता सारा हिन्दुस्तान है।
सब आकांक्षाएं पूरी होएंगी, और हमारा होगा हर सपना साकार।
परम पवित्र सरल बच्चे सब।
