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Dr Sanjeev Dixit

Abstract

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Dr Sanjeev Dixit

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बचपन की भूख

बचपन की भूख

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तपते सूरज की गर्म रोटी, ठंडे चाँद की खीर बनाई

नन्हीं हथेली में परोसकर बचपन की भूख मिटाई।


दुःख हो या सुख सब मिलकर के आपस में बाँटा

बाँटी आख़िरी बेंच में की शरारत पर मिली पिटाई।


त्यौहार का मौसम ईद या फ़िर जगमगाती दीवाली

गली में दौड़ कर बाँटी राम और रहीम को मिठाई।


प्यार से रोज़ जमा की गुल्लक़ में ढेर सारी दौलत


एक आवाज़ पर वो दौलत उस फ़क़ीर पर लुटाई।


मेरे अलबम में हैं बचपन के हर पहलू की तस्वीरें

ज़िंदगी से लम्हा लम्हा जोड़कर ये मैंने की कमाई।


तपते सूरज की गर्म रोटी, ठंडे चाँद की खीर बनाई

नन्हीं हथेली में परोसकर बचपन की भूख मिटाई।


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