अनजान सफर
अनजान सफर
अनजान सफर पर जब हम निकलते हैं तो अनेक विचार पनपते हैं
कुछ कर दिखाने का जज़्बा लिए केवल निरंतर आगे बढ़ते हैं।
सही-गलत के चक्कर में उलझकर जो जन सोचते रह जाते हैं
फिर वो साधारण की गिनती में ही गिने जाते हैं।
आत्मविश्वास की कमी से ही घिरे रह जाते हैं
सच कहूं तो जिंदगी में बुरी तरह पिछड़ जाते हैं।
हर इंसान को जीवन में अकेले ही आगे बढ़ना होता है
सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में अक्सर अभ्यास करना होता है।
संघर्ष के इस दौर में केवल निरंतर चलना होता है
हिम्मत-हौंसले की तराजू में खुद को तौलना होता है।
अनजान सफर का आनंद लेना सब के बस की बात नहीं
जिन्होंने इन राहों को चुना सच में ये इतनी आसान नहीं।
कर्मशील व अथक मनुष्य ही किस्मत अपनी चमकाते हैं
अनजान सफर पर चलते हुए अपना नाम रौशन कर जाते हैं।