ख्वाहिश
ख्वाहिश
सुना था
ख्वाहिशें बोझ सी होती हैं
विश्वास किया इस सुनी बात पर
और कोई ख्वाहिश नहीं पाली।
सब कुछ अच्छा लगता रहा
बहुत अच्छा लगता रहा
किसी की शिकायत नही रही
किसी की शिकायत नहीं रही
बस प्रेम बचा शेष
प्रेम हर पल से
प्रेम खुद से
प्रेम इनसे उनसे सबसे
जीवन सहज सरल और
संगीतमय हो उठा
और इसी सफर में
अचानक एक दिन ख्वाहिश मिली
कहने लगी मुझसे मिलते तो
बात और होती
थोड़ी सी मुश्किलें जरूर होतीं
पर मुश्किलों के बाद
एक मुकम्मल दुनिया मिलती।
परी सी खूबसूरत ख्वाहिश
बोलती जा रही थी
मैं उसे देख रहा था
सुन रहा था
कह रही थी महात्मा जी
कभी मनुष्य बनने की ख्वाहिश कीजिये
मेरी तरह बनिये।
एक गहरा राज बताऊं
मनुष्य होने के फायदे बताऊं
अगर भगवान भी मनुष्य नहीं बनते न
याद नहीं किये जाते।
मैंने देखा है
बड़े बड़े देवताओं को
मनुष्य बनने के लिये मचलते हुये
और एक मनुष्य है जैसे कि तुम
बस मनुष्य बनना छोड़कर
जाने क्या क्या बनने की सोच रहे हो।
मैं जानती हूँ
ये जो में हूँ न मैं
यानि कि ख्वाहिश
तुममें अभी नहीं हूँ।