एक, दो, तीन, चार
एक, दो, तीन, चार
देखो कैसे झूल रहा है, उस डाल पे एक बंदर,
दो दर्जन केले खा के, कहता खुद को बड़ा सिकंदर।
तीन दोस्तों के कहने पर, डाल से नीचे वो आया,
चार पहियों की गाड़ी को, दिखा दिखा इतराया।
पांच बजे ट्यूशन जाना है, मां ने कहीं ये बात,
छ:बजे घर आ के फिर, खेलेंगे दोस्तों के साथ।
सात रंगों का इन्द्र धनुष, देखो कितना प्यारा,
आठ चिड़ियों का झुंड जो बैठा, मुझको लगता न्यारा।
नौ नटखट तितलियां देखो, बाग़ में उड़कर आई,
दस रुपए का रस पी कर, खुद से ही इतराई।