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Dr. Poonam Gujrani

Inspirational

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Dr. Poonam Gujrani

Inspirational

एक दिन खेत पर

एक दिन खेत पर

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उठा फावङ़ा, नाप धरा को

खुद को कर तैयार

एक दिन तू खेत पर आ।


भूखा पेट लिए जाते हम

सोने जैसी फसल उगाते

मंडी मंडी भटक रहे पर

पूरे दाम नहीं ला पाते

‌‌कैसे खून पसीना बनकर 

माटी में मिल जाता है

चमके तेरे हीरे तन से

इनको जरा उतार

एक दिन तू खेत पर आ।


सरदी गरमी बारिश पाला

बरसों से झेला हमने

उम्मीदों का अन्न हमारा 

झूठा छोङ़ दिया तुमने

गोदामों में पङ़ा सङ़े वो

करने को व्यापार

एक दिन तू खेत पर आ।


देख हकीकत नमक मिला हम

सूखी रोटी खाते हैं

धरा बिछाते गगन ओढ़ते

फौलादी हो जाते हैं

यदि हम बीज नहीं बोएं तो

आंखें तेरी चार

एक दिन तू खेत पर आ।



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