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Ashna Choudhary

Abstract Inspirational

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Ashna Choudhary

Abstract Inspirational

एक दिन... एक समंदर

एक दिन... एक समंदर

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रेत के बीच में, नावों की पहुँच में,
सूरज के तेज में, लहरों के पेच में
जैसे किसी रेगिस्तान में, जैसे हमारे राजस्थान में
ठेले हैं हमारी चारों ओर, बस गाड़ियां मचाए थोड़ी-सी शोर।

सूरज की रौशनी में, रेत ऐसे चमकता है
जैसे बहुत सारे सोने को, चांदनी ने बटोरा है
हर जगह हमारे आस-पास, समुद्री सीप बिखरे हैं
जैसे की रेत ने इन कवचों से, एक तावीज़ को सिंचा है।

कौओं की पकड़म-पकड़ाई, मैनों की अंताक्षरि
इनसानों ने दौड़ लगाई, रेत ने लगाई मेल
सूरज ने अंधकार हटाया, बादलों ने हटाई गर्मी
नावों ने जाल बिछाया, समंदर में बनाई रेल।

आसमान की ये चमक-धमक, गगन पर छाई काली परत
सफेद बादलों की उजाली, उगते सूरज की लाली
नीले बादलों की ये अनोखी धमक, गगन में एक लाल-सी तस्वीर
एक रसोइये की टोपी-सी, या हंस की उड़ती तस्वीर।

समुद्र तट के पास में, मैं बैठ लिखती हूँ
रेत से लिखती हूँ, रेत पर लिखती हूँ।


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