एक बुरा ख़्वाब
एक बुरा ख़्वाब
आए दिन अखबारों में छपता,
एक मासूम के साथ हुआ व्यभिचार।
कुछ नर भेड़ियों ने मिलकर,
मासूम को बनाया अपना शिकार।
इससे भी बुरा ख़्वाब क्या होगा !
नारी को जिस देश में हम देवी माने,
माँ बनकर कहलाती पालनहार।
उसी देश समाज में कुछ दुष्ट दरिंदे,
नारी पर करते कैसा अत्याचार।
इससे भी बुरा ख़्वाब क्या होगा !
मासूम बेचारी कितना रोती चिल्लाती,
अपने बचने को गुहार लगाती।
शैतानों के दिल में जूं न रेंगता,
चंगुल से न अपने को बचा पाती।
इससे भी बुरा ख़्वाब क्या होगा !
इक बेटी जो पापा की परी होती,
बचपन में भाई बहिन संग खेलती।
ससुराल में आती कितने अरमानों से,
दहेज लोभियों से जला दी जाती।
इससे भी बुरा ख़्वाब क्या होगा !
आए दिन होता सड़कों पर हो हल्ला,
नर पिचाशों के विरुद्ध होता ललकार।
कुछ दिन बाद फिर हो वही गुनाह,
अखबार में छपे फिर वही समाचार।
इससे भी बुरा ख़्वाब क्या होगा !
