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Pushpender Sharma

Romance Tragedy

4  

Pushpender Sharma

Romance Tragedy

एक बुरा इंसान

एक बुरा इंसान

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थोड़ा सा पीछे जाते है वक्त में, जब मुझे भी किसी से प्यार हुआ करता था,

किसी लड़की पे नजरे नही जाती थी मेरी, क्योंकि प्यार उससे बेइंतहा हुआ करता था,

धोखा मैने भी खाया है, तब कही मेरे मेरी कलम और शब्दों मे दर्द आया है।


चांद तारों ने मेरी आंखों में आंसू और उसको गैरों की बाहों मे पाया था,

गुमान मेरा भी टूटा प्यार का जब उसकी दोस्त के नाम से नंबर सेव,  मेरे एक अपने का पाया था।


कुछ कह नही सका किसी से कुछ मैं उस वक्त,

वो पहली बार था जब मेरी भी आंखो में आंसुओ का सैलाब आया था,

मेरे अपनो के पास होते हुए भी मैंने उस दिन खुद को अकेला पाया था।

शायद वो अकेलापन और आसूं ही थे, जिसने शब्दों को शायरी मे बदलना सिखाया था,

ऐसे ही नही बनता कोई बुरा, उन्ही तकलीफों ने मुझे लोगो के लिए बुरा बनाया था।


वक्त ने मुझे और मैंने अपनो को अजमाया था

उन्ही मे से कुछ सांपों को मैने पाया था।

गिराया था उन्ही ने मेरा विश्वास लोगो से,

मैं कौन सा दुनिया मे बुरा बनके आया था।


हर मोड़ पे मेरे कुछ अपनो ने मेरे विश्वास को मार गिराया था

यूंही नही बनता कोई बुरा, मुझे तो कुछ अपनो ने ही बुरा बनाया था।

सब जान के भी अनजान सा बना मैं रहता था,

अपने ही है यही सोच के सब मैं सहता था।


वक्त वो भी आया था जब मैने सब खत्म करना चाहा था,

इस बात पे मैने डांट भी बहुत खाया था,

मेरे पिता ने फिर मुझे समझाया था, मैने भी उनको अपना फिर अच्छा दोस्त बनाया था।

एक बार फिर उन्होंने मुझे जिंदगी मे चलना सिखाया था,


ऐसे ही नाम के साथ लगाने से नहीं बनता कोई शायर

मुझे तो टूटते विश्वास ने शायर बनाया था।


किस्मत को नहीं दूंगा दोष कुछ, जो हर मोड़ पे मुझे ऐसे लोगो से मिलाया था,

गलती तो सारी मेरी ही थी, मैने ही तो अपने हाथों से उन्ही सांपों को दूध पिलाया था।


ये सिर्फ लिखी है एक बेवफाई, अभी लिखने बहुत किस्से बाकी है,

जिक्र करना कुछ सांपों का अभी बाकी है।


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