एक अल्पविराम
एक अल्पविराम
सारी दुनिया थी टेंशन में,
सब कहते थे बहुत है काम।
सभी कमेरे बोझ के मारे,
कर नहीं पाते थे विश्राम।।
रोज की चिक-चिक सुनके विधाता,
लगा गए एक अल्पविराम।
खाकर सोना उठकर हगना,
अब रह गए बस चार ही काम।।
अब रस्ता नापने वाले कहते,
लॉकडाउन हुआ बहुत हराम।
टेंशन बढ़ गई उस ग्रहणी की,
जिसका ग्रहणा पुरुष प्रधान।।
दिन का चैन लूट कर किंती,
क़ाम में डाल रहा व्यवधान।
जिनकी जोड़ी चंद चकोरी,
उनका हर पल स्वर्ग समान।।