STORYMIRROR

Pooja Kalsariya

Abstract Others

3  

Pooja Kalsariya

Abstract Others

एक आवाज शहीद की

एक आवाज शहीद की

1 min
210

एक डोली चली, एक और अर्थी चली

बात दोनों में कुछ इस तरह से चली,

बोली डोली, तुझे किसने धोखा दिया,

बोली अर्थी,

चार तुझ में लगे चार मुझ में,

फर्क इतना अब तू सुन ले सखी,


चूड़ी तेरी हरी, चूड़ी मेरी हरी,

फूल तुझ में सजे, फूल मुझे में सजे,

तू विदा हो चली में, अलविदा हो चली,

माँग तेरी भरी, माँग मेरी भरी 

तू जहां में चली, में जहां से चली 

तुझे देखे पिया, तेरे हँसते पिया,

मुझे देखे पिया, मेरे रोते पिया,

फर्क इतना है, अब तू सुन ले सखी,


गोरे हाथों में मेहँदी तेरी लगी,

गोरे हाथों में मेहँदी मेरे लगी,

तू घर बसाने चली, मैं घर बसा के चली।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract