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SHAKTI RAO MANI

Abstract

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SHAKTI RAO MANI

Abstract

एजाज लिख दूं

एजाज लिख दूं

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मैं रोशनी ‌पलट दूँ की ऐसे अल्फाज़ लिख दूँ

धार है मेरे कहने मे अगर खंजर को आवाज़ लिख दूँ‌।

मिट्टी मे मिल जाते हैं आकाश कई अक्सर

बंजर पेरो से उड़ी थी जो धूल वो परवाज़ लिख दूँ।

जीवन का अंत अगर मृत्यु ही होता हैं

तो समाज को बदल दूँ ऐसा रिवाज़ लिख दूँ।

जगत कि योनि लिख दूँ समय का रियाज़ लिख दूँ

विचार जब विषय बनता हैं वो इम्तियाज़ लिख दूँ।

‘राव’नाराज जिंदगी का भी एक मिजाज़ लिख दूँ

भविष्य को आज,आज को‌ कल,कल को एजाज़ लिख दूँ


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