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Nitu Mathur

Classics

4  

Nitu Mathur

Classics

ए जिंदगी

ए जिंदगी

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अपने नन्हे नरम कदमों से एक बार

दिल के दरवाज़े की दहलीज पार कर,


ए ज़िन्दगी, खुल के गले लगा अब मुझे

हंसते आंसू की ये गुनगुनी धार पार कर


अब तक जो देखे हैं दूर से तमाशे तुने

आज आमने सामने वो खेल याद कर

 जीत हार के फैसले करके जोड़ गुणा 

 संजीदगी बदले हंसी में ऐसा कमाल कर,


ए ज़िन्दगी, खुल के गले लगा अब मुझे

हंसते आंसू की ये गुनगुनी धार पार कर..


बादल से पवन का सूरज से किरन का

ऐसा नाता हो हमारा आज ये वादा कर

हसरतों के संदूक अपार खुशियों से भर

ना खाली हो खजाना कभी ऐसी दुआ कर,


ए ज़िन्दगी, खुल के गले लगा अब मुझे

हंसते आंसू की ये गुनगुनी धार पार कर..


हरी हिना के लाल रंग सी हथेली पर उभर

उजला दे चेहरा मेरा तन मन सतरंगी कर,

बजने दे मधम जल तरंग उतरें अंदर तक सुर

अपनी मधुर ताल से तेज़ मेरी थिरकन कर,


अपने नन्हे नरम कदमों से एक बार

दिल के दरवाज़े की दहलीज पार कर


ए ज़िन्दगी, खुल के गले लगा अब मुझे

हंसते आंसू की ये गुनगुनी धार पार कर..।


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