दूल्हे को मत बेचिये
दूल्हे को मत बेचिये
दूल्हे को मत बेचिये, चंद टकों के मोल
कभी दहेज न मांगिए, दुल्हन है अनमोल।
सामाजिक परिवेश में, संकट बना दहेज
हर नारी के वास्ते, सूली बन गई सेज।
सुरसा जैसा बढ़ गया, मुंह दहेज का आज
नारी मोहरा बन गई चौपड़ बना समाज।
दुल्हन ही दहेज है, कन्या दान महान
चलन पुराना तोड़ दो,दो मत धन का दान।
निर्धनता में और भी हुआ दहेज दुश्वार
निश-दिन घायल कर रही महंगाई की मार।