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सरफिरा लेखक सनातनी

Inspirational

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सरफिरा लेखक सनातनी

Inspirational

दूध का लालच

दूध का लालच

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उन किसानों के लिए जो गाय के दूध को बेचते है

पर गाय के बच्चे को नही पिलाते

और अंत समय तक बच्चा इंतजार करते करते मर जाता है

कि अब मिलेगा दूध अब मिलेगा दूध। 


किसान तू भी पापी हो गया 

जरा से दूध के चक्कर में

गाय के बच्चे का हत्यारा हो गया।


जरा सी बात मानी होती 

सारे दूध में से कुछ बून्द

बच्चे के मुहु में डाली होती।


अब क्यों पछताना रे किसान

ले फिर से सबेरा हो गया

जरा से दूध के चक्कर में

गाय के बच्चे का हत्यारा हो गया। 


सुबह नही तो शाम पिलाता 

मेरी साथ ये कैसा जुल्म ही गया

नौ महीने गर्भ मेे पाला सोच जरा 

किसान तू इतना खुर्दगज कैसे हो गया।


मै युही तांख तांख रह जाती

बच्चा कित खो गया

जरा से दूध के चक्कर में 

गाय के बच्चे का हत्यारा हो गया।


अपने बेटे से दुलार कर 

मेरा धुप में छोड़ दिया

मुझे लालच में पानी पिलाया मेरा बच्चे को

प्यासे का ही मुँहु मोड़ दिया

रोइ मै भी बहुत थी 

बच्चा मेरा भूख से सिकोड़ दिया।


भले चार पैसे कमाए तूने

पर एक बच्चा अपनी माँ को

जिंदगी भर छोड़ गया


जरा से दूध के चक्कर में 

गाय के बच्चे का हत्यारा हो गया

अब किसान ना रहा तू 

गाय का व्यापार हो गया।


जिस गाय ने किसान के परिवार को पाला 

मै उसी गाय के बच्चे का हत्यारा हो गया।


ममता की ममता को भी तोड़ा तूने

जिसे गौ माता कहते उसे भी नही छोड़ा तूने

चंद पैसे की खातिर

इस के बच्चे को भूखा छोड़ा तूने।


ममता भरे बच्चे से 

दूर दूर ही रह गई मै। 

बच्चे की लाश देख कर

छीन भिन हो गई मै। 

दूर पड़ा है मुझ से 

रो रो कर मर गई मै।


अपने बेटे से दुलार कर 

मेरा धुप में छोड़ दिया।

भले चार पैसे कमाए तूने

पर एक बच्चा अपनी माँ को

जिंदगी भर छोड़ गया

जरा से दूध के चक्कर में 

गाय के बच्चे का हत्यारा हो गया।


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